लोकतंत्र क्या है | Loktantra Kya Hai (परिभाषा, अर्थ और विशेषताएँ)

आज के इस पोस्ट में आपका स्वागत है। आज के लेख में हम बात करने जा रहे हैं कि लोकतंत्र क्या है (Loktantra kya hai) दोस्तों लोकतंत्र जितना छोटा और आसान शब्द है इसका अर्थ उतना ही जटिल और महत्वपूर्ण है। आज के समय में लोकतंत्र के बारे में जानकारी होना देशवासियों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

आज के इस Article में हम आपको लोकतंत्र से संबंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं। आप इस लेख को अंत तक अवश्य पढ़ें। तो चलिए शुरू करते हैं 

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लोकतंत्र क्या है (Loktantra kya hai)

लोकतंत्र को अंग्रेजी में democracy के नाम से जाना जाता है जो कि दो शब्दों से मिलकर बना है – डेमोस (Demos) और कृतियां (Cratia)। जिसका अर्थ होता है लोग और शासन। इन दोनों शब्दों के मिलाप से जो अर्थ प्रकट होता है वह है “जनता का शासन”।

आसान शब्दों में समझा जाए तो लोकतंत्र जनता द्वारा, जनता के लिए, जनता का शासन है। वर्तमान में यह एक ऐसी सुविधा है जिसमें देश में रह रहे नागरिकों को यह अधिकार है, कि वह वोट के माध्यम से अपना राजनैतिक नेता स्वयं चून सके। 

लोकतंत्र या प्रजातंत्र की परिभाषा

प्रजातंत्र की परिभाषा समय के अनुसार बदलती आई है प्रजातंत्र की मुख्य परिभाषा कुछ इस प्रकार है –

लॉर्ड ब्राइस के अनुसार, “लोकतंत्र वह है जिसके अंतर्गत गवर्नमेंट पावर किसी विशेष वर्ग या वर्गों में लक्षित ना रहकर कम्यूनिटी के सदस्य में निहित होती है।”

जॉनसन का कहना है कि, “ लोकतंत्र या प्रजातंत्र उसे कहते है जहां loardpower जनता में सामूहिक रूप से लक्षित हो।”

लोकतंत्र की विशेषताएं

प्रजातंत्र की विशेषताएं हैं इसके महत्वता को दर्शाती हैं। इसकी विशेषताएं निम्न प्रकार है –

  • स्वतंत्र, निष्पक्ष और लगातार चुनाव
  • अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व
  • संवैधानिक कानून के भीतर नियम
  • भाषण, अभिव्यक्ति और पसंद की स्वतंत्रता
  • संघीय अधिकार
  • परिषद की जिम्मेदारी
  • शिक्षा का अधिकार
  • संघ और संघ बनाने का अधिकार
  • सभी के लिए समान कानून
  • न्यायपालिका पर कोई नियंत्रण नहीं

लोकतंत्र के प्रकार 

लोकतंत्र को मुख्य रूप से दो प्रकारों के माध्यम से समझा जा सकता है –

(1) विशुद्ध या प्रत्यक्ष लोकतंत्र – 

यह एक ऐसी लोकतंत्र स्थिति है जहां पर देश के सभी नागरिक प्रत्यक्ष रूप से राज्य कार्य में भाग लेते हैं तथा उनके विचार विमर्श के बाद ही कोई फैसला लिया जाता है‌। Russo ने ऐसे लोकतंत्र को आदर्श लोकतंत्र माना है। 

(2) प्रतिनिधि सत्तात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र – 

ऐसे लोकतंत्र स्थिति में देशवासी सिर्फ अपना प्रतिनिधि चुनने में अपना योगदान दे सकते है। देश के नागरिक किसी शासन व्यवस्था और कानून निर्धारण लेने में भागीदारी नहीं निभाती है। 

प्रजातंत्र के रूप

प्रजातंत्र के भी दो रूप होते हैं जिनके बारे में हम नीचे विस्तार से बात करने वाले हैं –

प्रत्यक्ष लोकतंत्र

प्रत्यक्ष लोकतंत्र यह एक ऐसा लोकतंत्र है, जिसे प्राचीन यूनान में लागू किया गया था। जिसके अंतर्गत जनता खुद ही देश का कानून बनाने का कार्य करती है और उसे लागू करती है। लेकिन इस लोकतंत्र को कहीं भी आसानी से लागू या अपनाया नहीं जा सकता है।

दरअसल प्रत्यक्ष लोकतंत्र केवल वही अपनाए जाते हैं, जहां की आबादी कम होती है। और  प्राचीन यूनान में इसे उस समय अपनाया गया था जब वहां की जनसंख्या तकरीबन 500 से 600 हुआ करती थी।

वे लोग आपस में ही मिलकर कानून बनाते थे और उसे लागू करते थे। लेकिन वर्तमान समय में देश या राज्य चाहे कितना भी छोटा क्यों ना हो वे ऐसा बिलकुल नहीं कर सकते  वहां प्रत्यक्ष लोकतंत्र को नहीं अपनाया जाता है क्योंकि वर्तमान समय में छोटे से छोटे देश की आबादी भी लाखों-करोड़ों में है।

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र 

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र प्रत्यक्ष लोकतंत्र की तुलना में बिल्कुल उलट है यानी कि यहां पर जनता स्वयं अपने प्रतिनिधियों का चुनाव करती है और उनके द्वारा चुने गए प्रतिनिधि ही कानून बनाती है। यह काफी लोकप्रिय लोकतंत्र है, जिसे ज्यादा से ज्यादा देशों ने अपनाया है। दरअसल यहां पर जनता स्वयं कानून नहीं बनाती है और इसी वजह से वर्तमान समय में अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को ही अपनाया गया है। 

अप्रत्यक्ष लोकतंत्र के अंतर्गत कोई भी नागरिक इकट्ठा होकर स्वयं कानून नहीं बना सकते हैं और ना ही उस पर निर्णय लेने का कार्य कर सकते हैं। वैसे देश या राज्य जहां पर जनता स्वयं अपनी इच्छा अनुसार प्रतिनिधियों का चुनाव करती है और वही प्रतिनिधि अपने देश के लिए कानून बनाते हैं और उसे लागू करते हैं दरसल उन्हें ही अप्रत्यक्ष लोकतंत्र कहा जाता है।

लोकतंत्र के पक्ष में तर्क 

लोकतंत्र या प्रजातंत्र के कई विभिन्न तरह के मेरिट है जिनके बारे में हम नीचे बात करने वाले हैं जैसे कि –

  • ऐसा माना जाता है कि लोकतांत्रिक सरकार सबसे उत्तम सरकार होती है जो कि देश को विकास की राह पर ले जाती है।
  • प्रजातंत्र मनमुटाव और मतभेदों को मिटाने का कार्य भी करती हैं।
  • लोकतंत्र में निर्णय लेने की गुणवत्ता पर भी असर पड़ता है। 
  • लोकतंत्र की व्यवस्था पूर्ण रूप से समानता के सिद्धांत पर आधारित होती है।
  • लोकतंत्र अपनी गलती को सुधारने का अवसर प्रदान करता है। 

लोकतंत्र के विपक्ष में तर्क 

लोकतंत्र के विपक्ष में भी कई तर्क देखने को मिलते हैं जिनके बारे में हम नीचे चर्चा कर रहे हैं जैसे की –

  • लोकतांत्रिक व्यवस्था में नेता बदलते रहते हैं जिस कारण से अस्थिरता बनी रहती है। 
  • लोकतंत्र में गद्दी पर बैठने के लिए नेता एड़ी चोटी का जोर लगा देते हैं जिस कारण से भ्रष्टाचार में बढ़ोतरी होती है। 
  • कई बार चुने गए नेता सही फैसला नहीं ले पाते और जनता को सर्वोत्तम हितो तक नहीं पहुंचा पाते। 

लोकतंत्र की सीमाएं क्या है?

लोकतंत्र में देश को चलाने के लिए प्रतिनिधि का चयन जनता द्वारा किया जाता है इस तरह से जनता जब चाहे तब तख्तापलट कर सकती है। यदि सरकार की कोई योजना सफल या असफल होती है तो इसमें  सरकार की जवाबदारी होती है। इस तरह से लोकतांत्रिक सरकार में कोई स्वतंत्र रूप से निर्णय नहीं ले सकता। अतः सबकी सहमति होना आवश्यक है। 

लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत 

लोकतंत्र के मुख्य सिद्धांत ही इसकी मेल है जो कि कुछ इस प्रकार है – 

  • लोकतंत्र का पुरातन उदारवादी सिद्धांत
  • लोकतंत्र का बहुलवादी सिद्धांत
  • लोकतंत्र का सहभागिता सिद्धांत
  • लोकतंत्र का मार्क्सवादी सिद्धांत

लोकतंत्र के गुण (Loktantra ke merits)

John Stuart mill ने लोकतंत्र के गुण तथा दोषों का मूल्यांकन करने के लिए मापदंड विकसित किए थे जोकि कुछ इस प्रकार हैं –

  • उच्च आदर्शों पर आधारित
  • जनकल्याण पर आधारित
  • सार्वजनिक शिक्षण
  • क्रांति से सुरक्षा
  • परिवर्तनशील शासन व्यवस्था
  • देश प्रेम की भावना का विकास

लोकतंत्र के दोष (Loktantra ke demerits)

लोकतांत्रिक सरकार, सरकार को सबसे उत्तम स्वरूप अवश्य है लेकिन ऐसा नहीं है कि इसमें दोषों का अभाव नहीं है ईसमें निम्नलिखित दोष उत्पन्न हो सकते है–

  • लोकतंत्र अयोग्य लोगों का शासन है
  • बहुमत  द्वारा निर्णय युक्तिसंगत नहीं
  • पेशेवर राजनीतिक लोग का बहुमूल्य
  • खर्चीला शासन
  • संकट काल के लिए अनुपयुक्त
  • उग्र दलबंदी

भारत में लोकतंत्र

भारत अपने लोकतंत्र के लिए विश्व भर में प्रसिध्द है। यहां पर राष्ट्रपति राज्य के प्रमुख के रूप में कार्य करता है, और प्रधान मंत्री केंद्र सरकार का प्रमुख होता है। देश में शासन तथा कानून व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए प्रत्येक राज्य की अलग से राज्य सरकार होती है। केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर देशहित के लिए कार्य करती हैं। दोनो सरकारें संवैधानिक ढांचे के अंदर ही कार्य करती हैं। भारत के लोकतंत्र के प्रमुख सिद्धांतों में से एक सिद्धांत यह भी है कि राजनैतिक व्यवस्था में भी समानता का ध्यान रखा जाए। इस तरह से भारत में कोई भी व्यक्ति अपनी पार्टी बना सकता है और चुनाव के लिए खड़ा हो सकता है। 

लोकतंत्र का महत्व

लोकतांत्रिक शासन लोगों द्वारा कई बार सराहा जाता है तो कई बार इसकी आलोचना भी की जाती है। लेकिन तब भी लोकतंत्र का महत्व कम नहीं होता। लोकतांत्रिक शासन किसी भी अन्य प्रकार के शासन से काफी बेहतर है क्योंकि इसमें देशहित के लिए कार्य करने की जवाबदारी सरकार की होती है।

क्योंकि किसी भी फैसले के लिए सबकी सहमति होना यह बेहतर निर्णय होने की संभावनाओं को बढ़ा देता है। यह आम जनता के हाथों में शक्ति प्रदान करता है। यह बेहतर इसीलिए भी है क्योंकि इसमें गलतियों को सुधारने का अवसर भी दिया जाता है। 

लोकतांत्रिक सरकार के फायदे 

किसी भी देश में लोकतंत्र के सरकार होने के कई अनगिनत फायदे देखने को मिलते हैं जिनके बारे में हम नीचे आपको बता रहे हैं जैसे की – 

  • लोकतंत्र की सरकार में जनता को अनुमति है सरकार पर सवाल उठाने की उदाहरण के लिए भारत एक लोकतांत्रिक देश है यहां की जनता किसी भी गलत बात पर या फैसले पर सरकार से सवाल कर सकती है क्योंकि इसकी अनुमति दे देता है। लेकिन वहीं दूसरी ओर चीन के लोग सरकार पर कभी भी प्रश्न नहीं उठा सकते हैं उनके फैसले के खिलाफ नहीं जा सकते हैं। 
  • एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक स्वयं अपने लोकतंत्र सरकार का चुनाव करते हैं यानी कि अपने प्रतिनिधि का चुनाव करते हैं इसलिए लोकतंत्र सरकार या जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधि प्राय: जनता के प्रश्नों के जवाब दे होते हैं।
  • चूंकि लोकतंत्र सरकार में एक विपक्षी दल भी मौजूद होता है,  इसलिए समय-समय पर किसी भी कानून या कार्य के निर्णय लेने की गुणवत्ता में सुधार होता जा रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही होगा।

लोकतांत्रिक सरकार के नुकसान

एक देश में लोकतांत्रिक सरकार होने के न केवल फायदे हैं बल्कि कुछ नुकसान भी आपको देखने को मिलेंगे जैसे की–

  • लोकतांत्रिक सरकार में करप्शन की संभावना बहुत अधिक होती है क्योंकि इलेक्शन जीतने के लिए और अधिक वोट पाने के लिए प्रतिनिधि राजनीतिक प्रभाव और शक्ति का इस्तेमाल गलत तरीके से कर सकते हैं और इसका सबसे बड़ा उदाहरण स्वयं भारत है जहां पर लोग चुनाव जीतने के लिए घूस देते हैं और चुनाव परिणाम को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। 
  • लोकतांत्रिक सरकार होने का सबसे बड़ा नुकसान है, कि 5 साल के बाद फिर से चुनाव होता है और नए प्रतिनिधि का फैसला होता है जिसके वजह से राजनीतिक दलों में काफी बदलाव देखने को मिलते हैं।  जिसके कारण विकास परियोजना अधिकतर अस्थिर हो जाती है। जिससे देश के विकास में बाधा आती है।
  • जैसा कि हर किसी को पता है, लोकतांत्रिक सरकार में सत्ता की कई परतें मौजूद होती हैं जिसकी वजह से निर्णय या फैसले लेने की प्रक्रिया काफी धीमी होती है, क्योंकि किसी भी कार्य का निर्णय लेने के लिए कई लोगों से होकर गुजरना पड़ता है। इसलिए यह दूसरी सरकारों की तुलना में काफी धीमी कार्य करती है जिससे देश को नुकसान होता है। 

FAQ

लोकतंत्र कितने तरह के होते हैं?

मुख्यता लोकतंत्र दो प्रकार के होते हैं प्रत्यक्ष लोकतंत्र और अप्रत्यक्ष लोकतंत्र।

लोकतंत्र अपनाने वाला पहला देश कौन सा है?

ग्रीस दुनिया का पहला ऐसा देश है जिसने सर्वप्रथम लोकतांत्र को अपनाया था। 

दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश कौन है? 

भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है जो दुनिया का सबसे बड़ा ऑल लंबा लिखित संविधान मानते हैं। 

भारतीय लोकतंत्र के जनक किसे कहा जाता है?

डॉक्टर भीमराव अंबेडकर को भारतीय प्रजातंत्र का जनक कहा जाता है।

निष्कर्ष 

तो दोस्तों आज का हमारा यह article यहीं पर समाप्त होता है। आज के इस article में हमने आपको लोकतंत्र क्या है (Loktantra kya hai), इसके फायदे तथा नुक्सान इत्यादि के बारे में आपको जानकारी दी। उम्मीद करते हैं कि आपको इस article में बताई गई सभी बातें अच्छी तरह से समझ में आ गई होंगी।

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